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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 17: वाली का श्रीरामचन्द्रजी को फटकारना
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श्लोक 49
श्लोक
4.17.49
सुग्रीवप्रियकामेन यदहं निहतस्त्वया।
मामेव यदि पूर्वं त्वमेतदर्थमचोदय:।
मैथिलीमहमेकाह्ना तव चानीतवान् भवे:॥ ४९॥
अनुवाद
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मैने सुग्रीव को प्यार करने की इच्छा पूरी करने के लिए तुमने मेरा वध किया था, उसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अगर आपने पहले मुझसे कहा होता तो मैं मिथिलेशकुमारी जानकी को एक ही दिन में ढूंढकर आपके पास ले आता।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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