वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
»
सर्ग 17: वाली का श्रीरामचन्द्रजी को फटकारना
»
श्लोक 47
श्लोक
4.17.47
दृश्यमानस्तु युध्येथा मया युधि नृपात्मज।
अद्य वैवस्वतं देवं पश्येस्त्वं निहतो मया॥ ४७॥
अनुवाद
play_arrowpause
राजकुमार यदि तुम युद्ध भूमि में प्रत्यक्ष होकर मुझसे युद्ध करते तो आज मैं तुम्हें मारकर यमराज के दर्शन करा देता!
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.