श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 17: वाली का श्रीरामचन्द्रजी को फटकारना  »  श्लोक 47
 
 
श्लोक  4.17.47 
 
 
दृश्यमानस्तु युध्येथा मया युधि नृपात्मज।
अद्य वैवस्वतं देवं पश्येस्त्वं निहतो मया॥ ४७॥
 
 
अनुवाद
 
  राजकुमार यदि तुम युद्ध भूमि में प्रत्यक्ष होकर मुझसे युद्ध करते तो आज मैं तुम्हें मारकर यमराज के दर्शन करा देता!
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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