श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 17: वाली का श्रीरामचन्द्रजी को फटकारना  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  4.17.40 
 
 
चर्म चास्थि च मे राम न स्पृशन्ति मनीषिण:।
अभक्ष्याणि च मांसानि सोऽहं पञ्चनखो हत:॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री राम! बुद्धिमान लोग मेरे (वानर के) शरीर के चमड़े और हड्डियों को छूते तक नहीं। और वानर का मांस भी सभी के लिए खाने के योग्य नहीं होता है। ऐसे में जिसका सब कुछ निषिद्ध है, ऐसा मैं आज आपके हाथों से मारा गया हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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