श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 17: वाली का श्रीरामचन्द्रजी को फटकारना  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  4.17.39 
 
 
पञ्च पञ्चनखा भक्ष्या ब्रह्मक्षत्रेण राघव।
शल्यक: श्वाविधो गोधा शश: कूर्मश्च पञ्चम:॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  रघुनन्दन! त्रैवर्णिकों में जिनकी किसी कारण से मांसाहार में प्रवृत्ति हो गयी है, उनके लिये भी पाँच नख वाले जीवों में से पाँच ही भक्षण के योग्य बताये गये हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं—गेंडा, साही, गोह, खरहा और पाँचवाँ कछुआ। इन पाँचों को छोड़कर अन्य पाँच नख वाले जीव जैसे—बिच्छू, साँप, छिपकली, गिरगिट और केंचुआ आदि मांसाहार के लिये वर्जित हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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