श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 17: वाली का श्रीरामचन्द्रजी को फटकारना  »  श्लोक 12-13
 
 
श्लोक  4.17.12-13 
 
 
लक्ष्मणानुचरो रामो ददर्शोपससर्प च।
तं तथा पतितं वीरं गतार्चिषमिवानलम्॥ १२॥
बहुमान्य च तं वीरं वीक्षमाणं शनैरिव।
उपयातौ महावीर्यौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री राम लक्ष्मण को साथ ले कर वाली को इस अवस्था में देख कर उसके पास पहुँचे। जैसे ज्वाला रहित अग्नि भूमि पर गिरी हो उसी प्रकार वह वीर धीरे-धीरे देख रहा था। महापराक्रमी दोनों भाई श्रीराम और लक्ष्मण ने उस वीर का विशेष सम्मान करते हुए उसके पास जाकर उसका हालचाल पूछा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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