श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 1: पम्पासरोवर के दर्शन से श्रीराम की व्याकुलता, दोनों भाइयों को ऋष्यमूक की ओर आते देख सुग्रीव तथा अन्य वानरों का भयभीत होना  »  श्लोक 38-39h
 
 
श्लोक  4.1.38-39h 
 
 
पश्य लक्ष्मण नृत्यन्तं मयूरमुपनृत्यति॥ ३८॥
शिखिनी मन्मथार्तैषा भर्तारं गिरिसानुनि।
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण! देखो, पर्वत की चोटी पर नृत्य करते हुए अपने पति मयूर के साथ-साथ वह मोरनी भी कामपीड़ित होकर नाच रही है। पर्वत की चोटी पर एक मोर मयूर के नाच के साथ-साथ एक मोरनी भी नाच रही है। वह मोरनी काम से पीड़ित है और उसके मन में मयूर के लिए प्रेम है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.