श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 9: सीता का श्रीराम से निरपराध प्राणियों को न मारने और अहिंसा-धर्म का पालन करने के लिये अनुरोध  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.9.30 
 
 
धर्मादर्थ: प्रभवति धर्मात् प्रभवते सुखम्।
धर्मेण लभते सर्वं धर्मसारमिदं जगत्॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  "धर्म से अर्थ प्राप्त होता है, धर्म से ही सुख की उत्पत्ति होती है और धर्म के द्वारा ही मनुष्य समस्त कुछ प्राप्त कर लेता है। इस संसार में धर्म ही मुख्य तत्व है।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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