श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 9: सीता का श्रीराम से निरपराध प्राणियों को न मारने और अहिंसा-धर्म का पालन करने के लिये अनुरोध  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  3.9.27 
 
 
क्व च शस्त्रं क्व च वनं क्व च क्षात्रं तप: क्व च।
व्याविद्धमिदमस्माभिर्देशधर्मस्तु पूज्यताम्॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  कहाँ शस्त्र धारण करके सुखपूर्वक वन में वास करना और कहाँ क्षत्रियों का हिंस्र कर्म करना और कहाँ समस्त प्राणियों पर दया करके तप करना - ये सभी परस्पर विरुद्ध जान पड़ते हैं। इसलिए हमें उसी देश के धर्म का सम्मान करना चाहिए (इस समय हम तपोवन रूपी देश में निवास कर रहे हैं, इसलिए यहाँ के अहिंसात्मक धर्म का पालन करना ही हमारा कर्तव्य है)।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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