श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 9: सीता का श्रीराम से निरपराध प्राणियों को न मारने और अहिंसा-धर्म का पालन करने के लिये अनुरोध  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.9.22 
 
 
तत: स रौद्राभिरत: प्रमत्तोऽधर्मकर्षित:।
तस्य शस्त्रस्य संवासाज्जगाम नरकं मुनि:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  तब वह मुनि प्रमादवश रौद्र-कर्म में लग गया। अधर्म ने उसे आकर्षित किया और उस शस्त्र के साथ संबंध रखने के कारण उसे नरक में जाना पड़ा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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