श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 9: सीता का श्रीराम से निरपराध प्राणियों को न मारने और अहिंसा-धर्म का पालन करने के लिये अनुरोध  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.9.21 
 
 
नित्यं शस्त्रं परिवहन् क्रमेण स तपोधन:।
चकार रौद्रीं स्वां बुद्धिं त्यक्त्वा तपसि निश्चयम्॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  नित्य शस्त्र धारण करने के कारण धीरे-धीरे उन तपस्वी मुनि ने तपस्या का निश्चय छोड़ दिया और उनकी बुद्धि क्रूरतापूर्ण हो गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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