श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 9: सीता का श्रीराम से निरपराध प्राणियों को न मारने और अहिंसा-धर्म का पालन करने के लिये अनुरोध  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.9.20 
 
 
यत्र गच्छत्युपादातुं मूलानि च फलानि च।
न विना याति तं खड्गं न्यासरक्षणतत्पर:॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  ऋषि मुनि अपनी धरोहर की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते थे। जब वे जंगल में फल-मूल लाने जाते, तो हमेशा अपने साथ एक खड्ग रखते थे। वे जानते थे कि जंगल में कई खतरे हैं, जैसे जंगली जानवर और डाकू। इसलिए, वे हमेशा अपनी सुरक्षा के लिए तैयार रहते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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