यत्र गच्छत्युपादातुं मूलानि च फलानि च।
न विना याति तं खड्गं न्यासरक्षणतत्पर:॥ २०॥
अनुवाद
ऋषि मुनि अपनी धरोहर की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते थे। जब वे जंगल में फल-मूल लाने जाते, तो हमेशा अपने साथ एक खड्ग रखते थे। वे जानते थे कि जंगल में कई खतरे हैं, जैसे जंगली जानवर और डाकू। इसलिए, वे हमेशा अपनी सुरक्षा के लिए तैयार रहते थे।