श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 9: सीता का श्रीराम से निरपराध प्राणियों को न मारने और अहिंसा-धर्म का पालन करने के लिये अनुरोध  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  3.9.18 
 
 
तस्मिंस्तदाश्रमपदे निहित: खड्ग उत्तम:।
स न्यासविधिना दत्त: पुण्ये तपसि तिष्ठत:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  उन्होंने मुनि के निवास में अपना उत्तम खड्ग रख दिया। उन्होंने उसे धर्म के अनुसार उस धार्मिक मुनि को उपहार के रूप में दिया, जो पवित्र तप में निमग्न थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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