वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 9: सीता का श्रीराम से निरपराध प्राणियों को न मारने और अहिंसा-धर्म का पालन करने के लिये अनुरोध
»
श्लोक 15
श्लोक
3.9.15
क्षत्रियाणामिह धनुर्हुताशस्येन्धनानि च।
समीपत: स्थितं तेजोबलमुच्छ्रयते भृशम्॥ १५॥
अनुवाद
play_arrowpause
अग्नि के निकट रखे गए ईंधन जिस प्रकार उसकी प्रखरता और बल को अत्यधिक बढ़ा देते हैं, उसी प्रकार क्षत्रियों के पास धनुष का होना उनकी शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है। धनुष की उपस्थिति उनके साहस और पराक्रम को और अधिक बढ़ा देती है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.