श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 9: सीता का श्रीराम से निरपराध प्राणियों को न मारने और अहिंसा-धर्म का पालन करने के लिये अनुरोध  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.9.13 
 
 
नहि मे रोचते वीर गमनं दण्डकान् प्रति।
कारणं तत्र वक्ष्यामि वदन्त्या: श्रूयतां मम॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  वीर! दंडकान्य में अभी आपका जाना मुझे ठीक नहीं लग रहा है। इसका कारण यह है कि दण्डकारण्य एक दुर्गम वन है और वहां कई खतरनाक जीव-जंतु रहते हैं। मैं नहीं चाहती कि आपको कोई खतरा हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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