श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 9: सीता का श्रीराम से निरपराध प्राणियों को न मारने और अहिंसा-धर्म का पालन करने के लिये अनुरोध  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.9.10 
 
 
प्रतिज्ञातस्त्वया वीर दण्डकारण्यवासिनाम्।
ऋषीणां रक्षणार्थाय वध: संयति रक्षसाम्॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  वीर! आपने दण्डकारण्य में रहने वाले ऋषियों की रक्षा करने और उनको राक्षसों के आतंक से मुक्त कराने के लिए युद्ध में राक्षसों का वध करने की शपथ ली थी।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.