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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 9: सीता का श्रीराम से निरपराध प्राणियों को न मारने और अहिंसा-धर्म का पालन करने के लिये अनुरोध
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श्लोक 1
श्लोक
3.9.1
सुतीक्ष्णेनाभ्यनुज्ञातं प्रस्थितं रघुनन्दनम्।
हृद्यया स्निग्धया वाचा भर्तारमिदमब्रवीत्॥ १॥
अनुवाद
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सीता जी ने सुतीक्ष्ण से अनुमति लेकर वन की ओर प्रस्थान कर रहे अपने प्रियतम रघुकुल नंदन श्री राम से हृदयस्पर्शी, स्नेहभरी और मधुर वाणी में इस प्रकार कहा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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