लक्ष्मण और सीता के सहित श्रीराम ने यह कहकर कि ' जिस तरह से अन्याय से प्राप्त हुई संपत्ति से नीच कुल के मनुष्य में असहनीय उग्रता आ जाती है, उसी तरह से यह सूर्यदेव जब तक असहनीय ताप देकर प्रचंड तेज से प्रकाशित होने न लगें, उसके पहले हम यहां से जाना चाहते हैं', मुनि के चरणों की वंदना की।