श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 8: प्रातःकाल सुतीक्ष्ण से विदा ले श्रीराम,लक्ष्मण, सीता का वहाँ से प्रस्थान  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.8.20 
 
 
शीघ्रं तौ रूपसम्पन्नावनुज्ञातौ महर्षिणा।
प्रस्थितौ धृतचापासी सीतया सह राघवौ॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  वे दोनों रूपवान् रघुवंशी वीर थे, जिन्होंने महर्षि की आज्ञा लेकर खड्ग और धनुष धारण किया और शीघ्र ही सीता के साथ वहाँ से प्रस्थान किया।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डेऽष्टम: सर्ग:॥ ८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें आठवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ८॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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