श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 8: प्रातःकाल सुतीक्ष्ण से विदा ले श्रीराम,लक्ष्मण, सीता का वहाँ से प्रस्थान  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  3.8.18 
 
 
तत: शुभतरे तूणी धनुषी चायतेक्षणा।
ददौ सीता तयोर्भ्रात्रो: खड्गौ च विमलौ तत:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनंतर कमनीय नेत्रों वाली सीता ने उन दोनों भाइयों को अत्यंत सुंदर दो तरकश और धनुष, तथा चमचमाते हुए दो खड्ग भेंट किए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.