श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 8: प्रातःकाल सुतीक्ष्ण से विदा ले श्रीराम,लक्ष्मण, सीता का वहाँ से प्रस्थान  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  3.8.17 
 
 
एवमुक्तस्तथेत्युक्त्वा काकुत्स्थ: सहलक्ष्मण:।
प्रदक्षिणं मुनिं कृत्वा प्रस्थातुमुपचक्रमे॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  उनके ऐसा कहने पर लक्ष्मण सहित श्रीराम ने ‘बहुत अच्छा’ कहते हुए मुनि की परिक्रमा की और वहाँ से प्रस्थान करने की तैयारी की। १७॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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