श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 8: प्रातःकाल सुतीक्ष्ण से विदा ले श्रीराम,लक्ष्मण, सीता का वहाँ से प्रस्थान  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.8.13 
 
 
सुप्राज्यफलमूलानि पुष्पितानि वनानि च।
प्रशस्तमृगयूथानि शान्तपक्षिगणानि च॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  इस यात्रा में आप बहुत से ऐसे वन देखेंगे जो सुंदर फूलों से सजे हुए हैं और उनमें भरपूर मात्रा में फल और जड़ें मिलती हैं। वहां उत्तम किस्म के हिरणों के झुंड घूमते रहते हैं और पक्षी शांति से रहते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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