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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 12
श्लोक
3.8.12
पश्याश्रमपदं रम्यं दण्डकारण्यवासिनाम्।
एषां तपस्विनां वीर तपसा भावितात्मनाम्॥ १२॥
अनुवाद
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वीर! दण्डकारण्य के निवासी ये तपस्वी मुनि तपस्या द्वारा अपने हृदयों को पवित्र करते हैं। उनके आश्रम बहुत ही सुन्दर हैं। उनकी यात्रा करके आप इस सुन्दरता का आनंद ले सकते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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