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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 8: प्रातःकाल सुतीक्ष्ण से विदा ले श्रीराम,लक्ष्मण, सीता का वहाँ से प्रस्थान
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श्लोक 1
श्लोक
3.8.1
रामस्तु सहसौमित्रि: सुतीक्ष्णेनाभिपूजित:।
परिणाम्य निशां तत्र प्रभाते प्रत्यबुध्यत॥ १॥
अनुवाद
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लक्ष्मण सहित श्रीराम को सुतीक्ष्ण ने खूब आदर सत्कार दिया। वे उनके आश्रम में ही रात्रि बिताकर प्रातःकाल जाग उठे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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