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श्लोक 7
श्लोक
3.75.7
ऋष्यमूको गिरिर्यत्र नातिदूरे प्रकाशते।
यस्मिन् वसति धर्मात्मा सुग्रीवोंऽशुमत: सुत:॥ ७॥
अनुवाद
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वहाँ से कुछ दूरी पर ही वह ऋष्यमूक पर्वत दिखाई देता है, जहाँ सूर्यपुत्र-धर्मात्मा सुग्रीव निवास करते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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