श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 75: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत तथा उन दोनों भाइयों का पम्पासरोवर के तट पर जाना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  3.75.7 
 
 
ऋष्यमूको गिरिर्यत्र नातिदूरे प्रकाशते।
यस्मिन् वसति धर्मात्मा सुग्रीवोंऽशुमत: सुत:॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  वहाँ से कुछ दूरी पर ही वह ऋष्यमूक पर्वत दिखाई देता है, जहाँ सूर्यपुत्र-धर्मात्मा सुग्रीव निवास करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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