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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 75: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत तथा उन दोनों भाइयों का पम्पासरोवर के तट पर जाना
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श्लोक 6
श्लोक
3.75.6
हृदये मे नरव्याघ्र शुभमाविर्भविष्यति।
तदागच्छ गमिष्याव: पम्पां तां प्रियदर्शनाम्॥ ६॥
अनुवाद
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नरश्रेष्ठ! अब मेरे हृदय में एक शुभ संकल्प उमड़ रहा है, आओ हम दोनों पम्पासरोवर के सुंदर तट पर चलें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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