श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 75: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत तथा उन दोनों भाइयों का पम्पासरोवर के तट पर जाना  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.75.30 
 
 
क्रमेण गत्वा प्रविलोकयन् वनं
ददर्श पम्पां शुभदर्शकाननाम्।
अनेकनानाविधपक्षिसंकुलां
विवेश राम: सह लक्ष्मणेन॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  वन की शोभा को देखते हुए क्रमशः वहाँ जाकर लक्ष्मण सहित श्रीराम ने पम्पा झील को देखा। उसके आस-पास का जंगल बहुत ही सुंदर और मनभावन था। वहाँ हर जगह विभिन्न प्रकार के पक्षियों के झुंड उड़ रहे थे। भाई लक्ष्मण के साथ श्रीरघुनाथजी ने पम्पा के जल में प्रवेश किया।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायाणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे पञ्चसप्ततितम: सर्ग:॥ ७५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें पचहत्तरवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ७५॥
॥ अरण्यकाण्डं सम्पूर्णम् ॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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