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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 75: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत तथा उन दोनों भाइयों का पम्पासरोवर के तट पर जाना
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श्लोक 29
श्लोक
3.75.29
इत्येवमुक्त्वा मदनाभिपीडित:
स लक्ष्मणं वाक्यमनन्यचेतन:।
विवेश पम्पां नलिनीमनोरमां
तमुत्तमं शोकमुदीरयाण:॥ २९॥
अनुवाद
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इस प्रकार कहकर सीताजी के दर्शन की कामना से पीड़ित और उनके प्रति असीम प्रेम रखने वाले श्रीराम उस प्रचंड शोक को व्यक्त करते हुए उस मनोरम कमल वाली पुष्करिणी पंपा में उतरे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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