पम्पा नदी के तट पर तिलक, अशोक, नाग केसर, वकुल और लिसोड़े के वृक्ष उसकी सुंदरता बढ़ा रहे थे। पम्पा नदी विभिन्न प्रकार के सुंदर उपवनों से घिरी हुई थी। उसका पानी कमल के फूलों से आच्छादित था और स्फटिक मणि की तरह स्वच्छ दिखाई देता था। पानी के नीचे स्वच्छ रेत फैली हुई थी। उसमें मछलियाँ और कछुए भरे हुए थे। तट पर खड़े वृक्ष नदी की सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे। पम्पा नदी चारों ओर लताओं से घिरी हुई थी और ऐसा लगता था जैसे उसके आसपास सहेलियाँ हों। पम्पा नदी का जल किन्नर, नाग, गंधर्व, यक्ष और राक्षस भी पीते थे। तरह-तरह के पेड़ों और लताओं से भरी हुई पम्पा नदी शीतल जल का एक सुंदर भंडार प्रतीत होती थी।