श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 75: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत तथा उन दोनों भाइयों का पम्पासरोवर के तट पर जाना  »  श्लोक 15-16h
 
 
श्लोक  3.75.15-16h 
 
 
तत्र जग्मतुरव्यग्रौ राघवौ हि समाहितौ।
स तु शोकसमाविष्टो रामो दशरथात्मज:॥ १५॥
विवेश नलिनीं रम्यां पंकजैश्च समावृताम्।
 
 
अनुवाद
 
   वे दोनों रघुवंश के वीर वहाँ शांत और ध्यानमग्न होकर पहुँचे। दशरथ के पुत्र राम सीता के शोक में व्याकुल थे। उन्होंने कमलों से भरी हुई उस मनोरम पुष्करिणी पम्पा में प्रवेश किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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