वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 75: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत तथा उन दोनों भाइयों का पम्पासरोवर के तट पर जाना
»
श्लोक 12
श्लोक
3.75.12
कोयष्टिभिश्चार्जुनकै: शतपत्रैश्च कीरकै:।
एतैश्चान्यैश्च बहुभिर्नादितं तद् वनं महत्॥ १२॥
अनुवाद
play_arrowpause
वह विशाल वन मोरों, तोतों, कबूतरों, मैनाओं और अन्य कई पक्षियों के कलरवों से गूंज रहा था।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.