श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 75: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत तथा उन दोनों भाइयों का पम्पासरोवर के तट पर जाना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.75.12 
 
 
कोयष्टिभिश्चार्जुनकै: शतपत्रैश्च कीरकै:।
एतैश्चान्यैश्च बहुभिर्नादितं तद् वनं महत्॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  वह विशाल वन मोरों, तोतों, कबूतरों, मैनाओं और अन्य कई पक्षियों के कलरवों से गूंज रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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