श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 75: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत तथा उन दोनों भाइयों का पम्पासरोवर के तट पर जाना  »  श्लोक 1-2
 
 
श्लोक  3.75.1-2 
 
 
दिवं तु तस्यां यातायां शबर्यां स्वेन तेजसा।
लक्ष्मणेन सह भ्रात्रा चिन्तयामास राघव:॥ १॥
चिन्तयित्वा तु धर्मात्मा प्रभावं तं महात्मनाम्।
हितकारिणमेकाग्रं लक्ष्मणं राघवोऽब्रवीत्॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  शबरी के देवलोक में जाने के बाद उनके तेज से प्रकाशित होने पर धर्मात्मा श्रीरघुनाथजी ने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर उन महात्मा महर्षियों के प्रभाव का चिन्तन किया। चिन्तन करके अपने हित में संलग्न रहने वाले एकाग्रचित्त लक्ष्मण से श्रीराम ने इस प्रकार कहा—।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.