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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना
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श्लोक 9
श्लोक
3.74.9
कच्चित्ते नियमा: प्राप्ता: कच्चित्ते मनस: सुखम्।
कच्चित्ते गुरुशुश्रूषा सफला चारुभाषिणि॥ ९॥
अनुवाद
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क्या तुमने जो नियम स्वीकार किये हैं उनका पालन किया है? क्या तुम्हारे मन में सुख और शांति है? हे चारुभाषिणि! तुमने जो गुरुजनों की सेवा की है, क्या वह पूर्णरूप से सफल रही है?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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