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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना
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श्लोक 7
श्लोक
3.74.7
पाद्यमाचमनीयं च सर्वं प्रादाद् यथाविधि।
तामुवाच ततो राम: श्रमणीं धर्मसंस्थिताम्॥ ७॥
अनुवाद
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तत्पश्चात् भगवान श्री राम ने उस धर्मनिष्ठ तपस्विनी से कहा, इसके बाद उन्होंने उनके लिए पाद्य, अर्घ्य और आचमनीय सहित सभी सामग्रियों को विधिवत समर्पित कर उनका विधिपूर्वक सत्कार किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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