श्रीरामचंद्रजी की आज्ञा पाकर जटा धारण करने वाली और मृगचर्म ओढ़े हुए शबरी ने अपने शरीर को आग में होम दिया। इस प्रकार वह प्रज्वलित अग्नि की तरह स्वयं को चमकदार बनाकर दिव्य वस्त्र, दिव्य आभूषण, दिव्य फूलों की माला और दिव्य अनुलेपन धारण कर अत्यंत सुंदर दिखने लगीं। सुदाम पर्वत पर आकाश में बिजली चमकती है और उसी तरह प्रकाश फैलाती हुईं वे स्वर्ग लोक चली गईं।