श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  3.74.31 
 
 
तामुवाच ततो राम: शबरीं संशितव्रताम्।
अर्चितोऽहं त्वया भद्रे गच्छ कामं यथासुखम्॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम ने शबरी से कहा, "हे भद्रे, तुमने मेरा बहुत अच्छा सत्कार किया। अब तुम अपनी इच्छानुसार आनन्दपूर्वक अपने अभीष्ट लोक को प्राप्त हो जाओ।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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