वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना
»
श्लोक 27
श्लोक
3.74.27
देवकार्याणि कुर्वद्भिर्यानीमानि कृतानि वै।
पुष्पै: कुवलयै: सार्धं म्लानत्वं न तु यान्ति वै॥ २७॥
अनुवाद
play_arrowpause
देवताओं की पूजा करते हुए मेरे गुरुजनों ने जिन कमलों की मालाएँ बनायी थीं, वे आज भी मुरझायी नहीं हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.