श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.74.26 
 
 
कृताभिषेकैस्तैर्न्यस्ता वल्कला: पादपेष्विह।
अद्यापि न विशुष्यन्ति प्रदेशे रघुनन्दन॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  रघुनन्दन! उन राजकुमारों ने वहाँ स्नान किया और वृक्षों पर वल्कल वस्त्र फैलाए। वे वस्त्र इस प्रदेश में आज तक सूखे नहीं हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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