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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना
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श्लोक 23
श्लोक
3.74.23
इयं प्रत्यक्स्थली वेदी यत्र ते मे सुसत्कृता:।
पुष्पोपहारं कुर्वन्ति श्रमादुद्वेपिभि: करै:॥ २३॥
अनुवाद
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इस पवित्र प्रत्यक्स्थली वेदी पर वो महर्षि, जिनका मैंने विधिवत पूजन किया था, श्रम के कारण काँपते हाथों से देवताओं को पुष्प अर्पित किया करते थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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