श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना  »  श्लोक 21-22h
 
 
श्लोक  3.74.21-22h 
 
 
पश्य मेघघनप्रख्यं मृगपक्षिसमाकुलम्॥ २१॥
मतङ्गवनमित्येव विश्रुतं रघुनन्दन।
 
 
अनुवाद
 
  पश्य मेघ घन प्रखर मृग पक्षी सम आ कुलम् मतंग वन में नाम विश्रुत रघु नंदन।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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