श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना  »  श्लोक 20-21h
 
 
श्लोक  3.74.20-21h 
 
 
एतत्तु वचनं श्रुत्वा रामवक्त्रविनि:सृतम्॥ २०॥
शबरी दर्शयामास तावुभौ तद्वनं महत्।
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम के मुख से निकले हुए इस वचन को सुनकर शबरी ने उन दोनों भाइयों को उस महान् वन का दर्शन कराते हुए कहा- "देखो, यह वही महान वन है, जिसका वर्णन मैंने तुमसे किया था। यहीं तुम्हें अपने पिता दशरथ के दर्शन होंगे।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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