श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना  »  श्लोक 19-20h
 
 
श्लोक  3.74.19-20h 
 
 
दनो: सकाशात् तत्त्वेन प्रभावं ते महात्मनाम्॥ १९॥
श्रुतं प्रत्यक्षमिच्छामि संद्रष्टुं यदि मन्यसे।
 
 
अनुवाद
 
  ‘तपस्वी! मैंने कबंध के मुँह से आपके महात्मा गुरुजनों का वास्तविक प्रभाव सुना है। यदि आप स्वीकार करते हैं तो मैं उनके उस प्रभाव को स्वयं देखना चाहता हूँ’।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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