श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना  »  श्लोक 18-19h
 
 
श्लोक  3.74.18-19h 
 
 
एवमुक्त: स धर्मात्मा शबर्या शबरीमिदम्॥ १८॥
राघव: प्राह विज्ञाने तां नित्यमबहिष्कृताम्।
 
 
अनुवाद
 
  शबरी जाति में वर्णबाह्य होने के बावजूद भी ज्ञान में बहिष्कृत नहीं थीं—उन्हें परमात्मा के स्वरूप का हमेशा ज्ञान प्राप्त था। उनकी पूर्वोक्त बातों को सुनकर धर्मात्मा श्रीराम ने उनसे कहा-।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.