श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना  »  श्लोक 15-16
 
 
श्लोक  3.74.15-16 
 
 
तैश्चाहमुक्ता धर्मज्ञैर्महाभागैर्महर्षिभि:।
आगमिष्यति ते राम: सुपुण्यमिममाश्रमम्॥ १५॥
स ते प्रतिग्रहीतव्य: सौमित्रिसहितोऽतिथि:।
तं च दृष्ट्वा वरांल्लोकानक्षयांस्त्वं गमिष्यसि॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  उन धर्मज्ञ महान ऋषियों ने मुझसे जाते समय कहा था, "हे तपस्विनी, तेरे इस परम पवित्र आश्रम में श्रीरामचंद्रजी पधारेंगे और लक्ष्मण के साथ तेरे अतिथि होंगे। तू उनका यथावत् सत्कार करना। उनका दर्शन करके तू श्रेष्ठ एवं अक्षय लोकों में जायगी।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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