श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.74.12 
 
 
अद्य मे सफलं तप्तं स्वर्गश्चैव भविष्यति।
त्वयि देववरे राम पूजिते पुरुषर्षभ॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  देवताधिदेव श्रीराम! आपके स्वागत से मेरी तपस्या सफल हो गई और अब मुझे आपके दिव्य धाम की प्राप्ति निश्चित है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.