श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.74.11 
 
 
अद्य प्राप्ता तप:सिद्धिस्तव संदर्शनान्मया।
अद्य मे सफलं जन्म गुरवश्च सुपूजिता:॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  रघुनन्दन! आज आपको देखते ही मुझे अपनी तपस्या में सिद्धि प्राप्त हो गयी। आज मेरा जन्म सार्थक हो गया और गुरुजनों की उत्तम पूजा भी सफल हो गयी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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