श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 74: श्रीराम और लक्ष्मण का पम्पासरोवर के तट पर मतङ्गवन में शबरी के आश्रम पर जाना, शबरी का अपने शरीर की आहुति दे दिव्यधाम को प्रस्थान करना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.74.10 
 
 
रामेण तापसी पृष्टा सा सिद्धा सिद्धसम्मता।
शशंस शबरी वृद्धा रामाय प्रत्यवस्थिता॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री राम के प्रश्न को सुनकर सिद्ध पुरुषों द्वारा सम्मानित वह वृद्ध तपस्विनी शबरी, जो सिद्धि प्राप्त कर चुकी थी, उठ खड़ी हुई और उनके सामने खड़ी होकर कुछ बोली।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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