श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 73: दिव्य रूपधारी कबन्ध का श्रीराम और लक्ष्मण को ऋष्यमूक और पम्पासरोवर का मार्ग बताना तथा मतङ्गमुनि के वन एवं आश्रम का परिचय देकर प्रस्थान करना  »  श्लोक 40-41h
 
 
श्लोक  3.73.40-41h 
 
 
तस्या गुहाया: प्राग्द्वारे महान् शीतोदको ह्रद:॥ ४०॥
बहुमूलफलो रम्यो नानानगसमाकुल:।
 
 
अनुवाद
 
  गुफा के सामने एक विशाल कुंड है, जो ठंडे पानी से भरा है। उसके आसपास विभिन्न प्रकार के फल और जड़ें बहुतायत में उपलब्ध हैं। यहाँ एक सुंदर झील है, जो विविध प्रकार के वृक्षों से घिरी हुई है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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