श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 73: दिव्य रूपधारी कबन्ध का श्रीराम और लक्ष्मण को ऋष्यमूक और पम्पासरोवर का मार्ग बताना तथा मतङ्गमुनि के वन एवं आश्रम का परिचय देकर प्रस्थान करना  »  श्लोक 39-40h
 
 
श्लोक  3.73.39-40h 
 
 
राम तस्य तु शैलस्य महती शोभते गुहा॥ ३९॥
शिलापिधाना काकुत्स्थ दु:खं चास्या: प्रवेशनम्।
 
 
अनुवाद
 
  श्री राम! उस पर्वत पर एक विशाल गुफा शोभित है, जिसका द्वार पत्थर से बंद है। उस गुफा में प्रवेश करना बहुत कठिन है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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