श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 73: दिव्य रूपधारी कबन्ध का श्रीराम और लक्ष्मण को ऋष्यमूक और पम्पासरोवर का मार्ग बताना तथा मतङ्गमुनि के वन एवं आश्रम का परिचय देकर प्रस्थान करना  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  3.73.35 
 
 
तत्रापि शिशुनागानामाक्रन्द: श्रूयते महान्।
क्रीडतां राम पम्पायां मतङ्गाश्रमवासिनाम्॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम! पम्पासरोवर में क्रीडा करने वाले छोटे-छोटे हाथी जो मतंग मुनि के आश्रम के आस-पास के वन क्षेत्र में रहते हैं, उनके चिग्घाड़ने की महान ध्वनि उस पर्वत पर भी सुनाई देती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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