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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 73: दिव्य रूपधारी कबन्ध का श्रीराम और लक्ष्मण को ऋष्यमूक और पम्पासरोवर का मार्ग बताना तथा मतङ्गमुनि के वन एवं आश्रम का परिचय देकर प्रस्थान करना
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श्लोक 29
श्लोक
3.73.29
न तत्राक्रमितुं नागा: शक्नुवन्ति तदाश्रमे।
ऋषेस्तस्य मतङ्गस्य विधानात् तच्च काननम्॥ २९॥
अनुवाद
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मतंग ऋषि के प्रभाव से उस आश्रम और उस वन में हाथी कभी भी आक्रमण नहीं कर सकते।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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